वास्तविकता की जांच

  • क्या आपके मन में कभी ये विचार आए हैं?

    • टी.वी. पर जो लोग राष्ट्रपतियों या शक्तिशाली उद्योगपतियों के कानों में फुसफुसाते हुए दिखते हैं, वह अनुवादक होते हैं|
    • अनुवाद करना कोई पेशा नहीं होता, यह तो कोई भी कर सकता है|
    • अगर आप दो या अधिक भाषाएँ बोल सकते हैं, तो आप अनुवाद कर सकते हैं|
    • अब अनुवादकों की कोई आवश्यकता नहीं रही, गूगल ट्रांसलेट या अन्य ऐप यह काम कर सकते हैं|
    • सभी अनुवादक अपनी मातृ भाषा से दूसरी भाषा में और दूसरी भाषा से अपनी मातृ भाषा में, दोनों तरफ़ अनुवाद करते हैं|
    • अनुवादक ढेर सारी भाषाएँ बोलते हैं|
    • अनुवादक अपनी भाषा में लगभग हर चीज़ का अनुवाद कर सकते हैं|
    • अनुवादक बस किताबों का अनुवाद करते हैं, क्या यही सही है?
    • अनुवाद जैसा भी हो, केवल समझ ही तो आना चाहिए|

    अगर आपने इनमें से कोई भी या सभी बातें सोची हैं, तो आप अकेले नहीं हैं| अनुवाद एक बड़ा दिलचस्प व्यवसाय है| यह कई हज़ार साल पुराना है, मगर अकसर इसे ठीक प्रकार से समझा नहीं जाता| अंदर की बात जानने के लिए आगे पढ़िए और इस व्यवसाय के बारे में प्रचलित गलत धारणाओं का पर्दाफाश करने वाले पहले व्यक्ति बनिए!

एक अनुवादक के दिमाग में क्या चलता है?

किसी भी अनुवादक के दिमाग में झाँकने से, चाहे जो भी उम्र, राष्ट्रीयता और संस्कृति हो, कुछ बातें हर बार प्रत्यक्ष होंगी|

सबसे पहले, हम वह लोग हैं जिन्हें भाषाओँ से प्यार है, और जो कम से कम एक विदेशी भाषा में निपुण हैं – कभी-कभी कई औरों में भी| हमें लिखने और संवाद करने से भी उतना ही लगाव है| हम स्वयं को शब्दों के जानकार मानते हैं – ऐसे लोग जो शब्द-रूपी औज़ारों द्वारा लेख और आँकड़े-पत्रक, विषय-वस्तु और प्रतिलिपि, सन्देश इत्यादि सृजित करते हैं|

भाषान्तरकारों के विपरीत, जो बोल कर काम करते हैं, हमारा सन्नाटा केवल कीबोर्ड और विचारों के शोर से भंग होता है|

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कम से कम दो संस्कृतियों के संपर्क में होने की वजह से हमारा दृष्टिकोण भी खुला है और हम जानते हैं कि एक चीज़ को देखने का एक से ज़्यादा नज़रिया हो सकता है|

आप हमें सूचना खोजी समझ सकते हैं| हम तत्पर जिज्ञासु, खूब पढ़ने वाले, अपनी विषय-वस्तु पर शोध करने के लिए आसक्त और अपने काम से निरंतर सीख लेने वाले होते हैं| निश्चित रूप से ऐसे लोग जिन्हें आप किसी प्रश्नोत्तरी के दौरान अपनी टीम में रखना चाहेंगे; और हम अकसर किन्हीं चुनिंदा क्षेत्रों में विशेषज्ञ भी होते हैं

हम पूर्णतावादी भी होते हैं और विस्तार-उन्मुख भी| व्यावसायिक नज़रिए से यह बहुत लाभदायक है, परन्तु इस आदत से बाहर निकलना मुश्किल होता है|

यह तो आप जानते ही होंगे, अगर आपने कभी किसी अनुवादक के साथ रेस्टोरेंट की व्यंजन सूची या फिर कोई फिल्म देखी हो और देखा हो कैसे हम हर गलती पकड़ लेते हैं

हमें यह बहुत मनभावन बात लगती है| आपको शायद यह उतना मनभावक ना लगे, मगर हम तो ऐसे ही हैं! 

हमारा काम

तो जब हमें काम करना होता है, तो हम क्या करते हैं?

आप किस सन्दर्भ में बात कर रहे हैं? (अनुवादक हमेशा आपसे कहेंगे की सब सन्दर्भ पर निर्भर है!)|

दुनिया भर में लोग कई वजहों से संचार करते हैं : बेचने के लिए, विज्ञापन देने के लिए, शिक्षित करने के लिए, जानकारी देने के लिए, आदान-प्रदान के लिए, अपनी कहानी सुनाने के लिए और प्रेरित करने के लिए|

अगर उनका सन्देश केवल अपनी भाषा या संस्कृति तक सीमित रहे, तो उसकी पहुँच एक दायरे में ही रह जाएगी| अगर वह एक अनुवादक का प्रयोग करें, तो वह सन्देश दीवारें तोड़ सकता है, दूरियां हटा सकता है और नजदीकियां बढ़ा सकता है|

दरअसल, हमारा काम लेखकों और पाठकों के बीच रिश्ता जोड़ने का है|

इसलिए हमें निपुणता की आवश्यकता है, बजाए “सिर्फ” किसी भाषा में अच्छे होने की

इसमें दूसरी भाषा की विषय-वस्तु में नई जान डालनी पड़ती है|

किसी भी एक दिन, दुनिया भर के अनुवादक किसी गैर-सरकारी संस्था के प्रेस विज्ञापन पर, किसी रोमांचक नए ऐप की नियंत्रण विधि पर, किसी काल-यंत्र के पेटेंट पर, हैरी पॉटर की बेटियों की कहानी पर, स्टार वार्स १० के मंगोल उपशीर्षकों पर, आपकी बर्तन धोने की मशीन के अतिरिक्त पुर्जों की सूची पर, चाँद पर टूरिस्ट रिसोर्ट की विवरणिका पर, फिल्म फेस्टिवल के लिए एंजेलीना जोली के इंटरव्यू पर, महामारी से लड़ने के लिए मास्क बनाने की ज़रूरी सामग्री पर, या फिर किसी अंतर्राष्ट्रीय फुटबॉलर, जो किसी नए देश में जा रहा हो, उसके कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने में व्यस्त हो सकते हैं|

अर्थात, हम जिन विषय-वस्तुओं पर काम करते हैं, वह इंसान से सम्बन्धी सभी आयामों से जुड़ी हो सकती हैं...

लेकिन यह काम करने के लिए, हमें सिर्फ उनके शब्द अपनी भाषा में नहीं लिखने होते| अगर राष्ट्रों अथवा चीज़ों की सूची बनानी हो, तो शायद ऐसा हो, मगर उससे ज़्यादा पेचीदा कोई भी विषय-वस्तु एक जीता जागता जीव होती है| उसे ध्यानपूर्वक रूपांतरित करना पड़ता है ताकि पाठक उसे सहज भाव से पढ़ सकें| केवल शब्दों से अतिरिक्त, वाक्य, अनुच्छेद और सम्पूर्ण भाव का भी खयाल रखना पड़ता है; ज़रूरत पड़ने पर नई उपाधियाँ, नई संस्था और नए संरूपण बनाने पड़ते हैं

अर्थात, विखंडन, शोध, पुनर्निर्माण, दोबारा लिखना और अपनी सभ्यता के अनुकूल बनाना| 

दूसरे शब्दों में, एक ऐसा गद्य निर्मित करना, जिसे पढ़ कर लगे कि वह उस भाषा के जानकर द्वारा लिखित है, और उस भाषा के जानकारों के लिए संरचित है|

सिर्फ ऐसे में ही पाठक उससे जुड़ा हुआ महसूस कर पाएंगे और उसका सन्देश उन तक पहुँच पाएगा|

अनुवादक के तौर पर हमारा दायित्व अपना काम करके वहां से ऐसे चले जाना होता है, जैसे हम कभी वहां थे ही नहीं|

तकनीकी परिवेश

निस्संदेह, २१वीँ सदी के किसी भी उद्योग की तरह, अनुवाद पर भी विकासशील तकनीक का विभिन्न रूप से असर पड़ा है| वह बीते हुए मधुर दिन अब कहाँ रहे जब अनुवाद के लिए दस्तावेज़ डाक से आते थे, उन्हें टाइपराइटर पर टाइप किया जाता था और गलतियों को सफ़ेद स्याही वाले पेन से सुधारा जाता था| 

आज के अनुवादक नवीनतम तकनीकों के जानकार हैं और कंप्यूटर पर अपना काम तेज़ी से, कार्यसाधक रूप में और सटीक रूप से करते हैं

हम दस्तावेज़ ईमेल पर लेते और भेजते हैं और इन्टरनेट हमारे शोध कार्य में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है|

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करीब बीस सालों से ज़्यादा से, अनुवादक आम तौर से, अपनी विषय-वस्तु का विभाजन, सुनियोजन और ट्रांसलेशन मेम्मोरी का संचय करने के लिए, शब्दों से लेकर सम्पूर्ण वाक्यों के रूप में, अभिकलित्र सहायक अनुवाद उपकरणों अथवा कैट टूल्स का प्रयोग करते आ रहे हैं|

आप सब ने गूगल ट्रांसलेट का नाम तो अवश्य सुना होगा और आपको यह भी पता होगा कि यह काफी बुरा हो सकता है, लेकिन फिर भी काफी अचंभित करने वाले नतीजे भी दे सकता है| अगर आप हंगरी में बैठी एक दादी हैं जो अपनी आयरिश पोती से बात करना चाहती हैं, तो गूगल ट्रांसलेट आपका सन्देश पहुँचाने में काफी मददगार साबित हो सकता है| अनुवादकों के लिए भी मशीन ट्रांसलेशन (एम्. टी.) कार्यभार कम करने में मददगार है; कई विषय-वस्तुओं को ग्रहण कर, उन्हें किसी रूप या अन्य में बाहर फेंक देती है (गुणवत्ता भाषा पर निर्भर करती है)| अकसर इस जगह मानव अनुवादक या ह्यूमन ट्रांसलेटर का काम शुरू होता है – मशीन द्वारा दी गई प्रति में भाव और अंदाज डालना (जिसे हमारे पेशे में “पोस्ट-एडिटिंग” कहते हैं)|

मनुष्य और मशीन के इस समन्वय के कारण पहले से बहुत अधिक सामग्री का आज अति शीघ्रता से अनुवाद होता है

फिर भी बहुत से अनुवादक मशीन ट्रांसलेशन को हाथ नहीं लगाते, यह कहते हुए कि उससे समाधान कम और मुश्किलें ज़्यादा होती हैं| सब कुछ विषय-वस्तु पर निर्भर करता है, किस बारे में है, किन भाषाओँ में अनुवाद होना है और कौन सा सॉफ्टवेर इस्तेमाल होगा| सृजनात्मक, या फिर मार्केटिंग अथवा साहित्य अनुवाद के लिए मशीन ट्रांसलेशन अभी तक बिलकुल निरुपयोगी है| 

इसके अतिरिक्त, हम सॉफ्टवेर का इस्तेमाल सबटाइटल नियोजित करने के लिए, अपना अनुवाद ऊंची आवाज़ में पढने के लिए (टेक्स्ट टू स्पीच), व्याकरण और वर्तनी चेक करने के लिए, दस्तावेजों को डेस्कटॉप प्रकाशन के लिए तैयार करने के लिए, अपनी ग्राहक और सेल्स डेटाबेस का हिसाब रखने के लिए, कार्यभार का नियोजन और बिल बनाने के लिए करते हैं|

दूसरे शब्दों में, तकनीक से हमारी दोस्ती है, दुश्मनी नहीं| इससे उत्पादकता और आमदनी दोनों बढ़ती हैं, लेकिन अभी के लिए इसका योगदान केवल इतना ही है| अर्थात, हमें रात में इस बात की कोई बेचैनी नहीं होती कि सुबह उठकर यह पाया जायेगा कि मशीनों ने हमारी जगह ले ली है...

रोज़मर्रा की दिनचर्या

किसी भी अनुवादक से पूछिए कि उसे अपना काम करने के लिए क्या चाहिए, तो जवाब यही मिलेगा : उपरोक्त लिखी गई सभी तकनीकों से लैस एक कंप्यूटर, शायद कुछ पुराने ज़माने वाली किताबें भी, ढेर सारी चाय और कॉफ़ी और अंततः, कुछ लोग तो शायद एक कुत्ता या बिल्ली भी चाहेंगे|

यह काम एकांत का है| हममें से कई लोगों के लिए यह बिलकुल ठीक है| हम अंतर्मुखी से बहर्मुखी और बीच के सभी रंगों के हो सकते हैं, लेकिन हमारा सच्चा प्यार शब्दों और उनसे क्या सृजित किया जा सकता है, उससे है| सबसे प्रचलित भाषाओँ (स्पेनिश, फ्रांसिसी, जर्मन, जापानी, इत्यादि) में, ज़्यादातर अनुवादक अपनी मातृ

भाषा की ओर अनुवाद करते हैं; क्योंकि विदेशी भाषा की हमारी जानकारी अच्छी हो सकती है, लेकिन अतिउत्तम नहीं| कई अन्य भाषाओँ, जैसे वियतनामी, हंगेरियन, होउसा (नाइजीरिया), टेगलॉग (फिलीपींस) और केचुआ (पेरू) में, अनुवादक दोनों ओर अनुवाद करते हैं| 

हम ट्रांसलेशन एजेंसियों के साथ अथवा सीधे ग्राहकों के साथ काम करते हैं| दोनों में से जिनके साथ भी शुरुआत हो, होती हमेशा किसी विषय-वस्तु के साथ है| यह ३ शब्दों के आदर्श-वाक्य से लेकर १००,००० शब्दों का शोध निबंध हो सकती है|

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लेकिन हर विषय-वस्तु किसी ऐसे क्षेत्र की होनी चाहिए जिससे हम परिचित हों| कोई मेडिकल अनुवादक शायद ही किसी कानूनी विषय-वस्तु पर काम करे, या फिर इसका प्रतिकूल| अनुवादक कई प्रकार के होते हैं, तकनीकी, विज्ञान सम्बन्धी, रचनात्मक, साहित्य या शिक्षा सम्बन्धी, आदि| हममें से हर एक व्यक्ति किसी खास विषय में काम करता है|

हम विषय-वस्तु पढ़कर, उसपर अपना शोध-कार्य करते हैं| फिर शुरू होता है हमारा असली काम, जो कठिन है, मगर अत्यंत आनंददायक भी है – विचारों को इस तरह प्रस्तुत करना कि वह स्पष्ट और स्वाभाविक लगें और विषय-वस्तु एकदम सहज लगे| 

फिर हम विषय-वस्तु पढ़ते हैं, उसे जांचते हैं, ठीक करते हैं, दोबारा जांचते हैं, अगर कोई सवाल हो तो ग्राहक से पूछते हैं और अंतिम प्रति को एकदम सटीक बनाते हैं| यह काम बड़े परिश्रम का है, मगर हमारे पास से जो कुछ भी बाहर जाता है, सौ फ़ीसदी सही होना चाहिए| कम से कम स्वाभिमानी पेशेवरों का तो यही मानना है, लेकिन दुनिया भर में पाए जाने वाले निम्न कोटि के अनुवाद को देखकर तो ऐसा लगता है कि सभी इस श्रेणी के पूर्णतावद को नहीं मानते!

इसके साथ ही, स्वतंत्र और लघु उद्योगपति होने की वजह से, हमें हर चीज़ के लिए तैयार रहना पड़ता है| हमारे पास किसी भी प्रकार की अनेक विषय-वस्तुएं आ सकती हैं, हर प्रकार के ग्राहक की ओर से, हर एक की समय सीमा अलग होती है और कई बार समय क्षेत्र भी अलग होता है|

हमारे काम करने कि गति अलग हो सकती है, लेकिन हर एक को मालूम होता है कि वह एक घंटे या दिन में कितना काम कर सकता है|

हम सही मायनों से अनेक जिम्मेदारियां इकट्ठी निभाते हैं|

और हर दिन बीते हुए कल से कुछ हट कर होता है|

स्थान, स्थिति, कार्यस्थल

२१वीं सदी में अनुवादक होने का यह फायदा है, कि हम कहीं से भी काम कर सकते हैं

हममें से कई लोगों के लिए इसका मतलब हुआ घर पर हमारा निजी दफ्तर| यहाँ कौन, कब प्रवेश कर सकता है, इसके सख्त निर्देश होते हैं| चाहे यह किसी कमरे का एक छोटा सा कोना हो या फिर कोई निर्धारित स्थान, यहाँ हमारे कंप्यूटर, प्रिंटर और सन्दर्भ पुस्तकें रखी होती हैं|

जिस काम में तीव्र एकाग्रता की आवश्यकता हो, वहां ऐसी किसी जगह का होना अनिवार्य है|

कुछ लोग घर और काम-काज में अंतर रखने के लिए दफ्तर किराये पर लेते हैं| कुछ अन्य लोग काम करने की साँझा जगहों में जाते हैं, जिससे उनका दूसरों से संपर्क बना रहे और नेटवर्किंग के अवसर मिलते रहें|

कार्यस्थल चाहे जैसा भी हो, आज की तकनीक के रहते हम किसी लोकल कैफेटेरिया या किसी पार्क में भी काम कर सकते हैं| और फिर कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो डिजिटल नोमैड्स होने की खातिर अलग-अलग राष्ट्रों में रहते और घूमते हैं, और सदैव अपने ग्राहकों के संपर्क में रहते हैं|

यह स्वतंत्रता की भावना हमारे काम में मूलभूत है|हमें बस एक कंप्यूटर, इन्टरनेट कनेक्शन और अपनी पूरी दिमागी ताकत अपने साथ चाहिए होती है|

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एक मानवीय उद्यम

तो हम काम किसके लिए करते हैं? कोई भी हमारा ग्राहक बन सकता है, सरकारें, अंतर्राष्ट्रीय गैर-सरकारी संस्थाएं, कंपनियां, विद्वान, संग्रहालय, शोधकर्ता, मार्केटिंग डिपार्टमेंट, प्रयोगशालाएं और गेमिंग कंपनियां; यहाँ तक कि ऐसे लोग भी जो अप्रवासी प्रमाण-पत्र अथवा अपने लिखे हुए गाने के बोलों का अनुवाद करना चाहते हैं|

उन्हें कोई उत्पाद या सेवा बेचनी होती है, या फिर कोई सन्देश देना होता है अथवा कोई कानूनी कार्यवाही करनी होती है| यह सब उन्हें किसी विदेशी भाषा में करना होता है|

खास बात यह है कि वह समझते हैं कि किसी पेशेवर से यह काम करवाने से कुछ प्रभाव, खूबसूरती, बूता और सर्वोपरि गुणवत्ता में बढ़ोतरी होगी, जो कि गूगल ट्रांसलेट या फिर अन्य किसी आटोमेटिक मशीन ट्रांसलेशन के मशीनी प्रारूप से बहुत अलग होगी|

यह हमें ऑनलाइन सर्च, जॉब प्लेटफार्म या हमारी वेबसाइट के जरिए, लोगों के कहने से या फिर निजी सिफारिश द्वारा खोजते हैं |

दुनियाभर में लाखों ग्राहक हैं और अरबों शब्दों का अनुवाद होता है| इस प्रकार, इंसानों द्वारा अनुवादित शब्दों की मदद से, इंसान अन्य इंसानों से संचार करते हैं|

उद्देश्य

हमारी इस छोटी सी यात्रा के अंत में, एक सीधा-सादा सवाल : हम जो करते हैं, वह क्यों करते हैं?

जितने अनुवादक हैं, इस प्रश्न के उतने ही उत्तर भी मिलेंगे|

लोगों के बीच संचार का माध्यम बनना कुछ लोगों की प्रतिभा होती है – उन्हें हर एक वाक्य के साथ दुनिया को बदलने का एक मौका मिलता है|

औरों का यह चाव होता है, जिसके लिए वह खुशी-खुशी वेतन ग्रहण करते हैं|

कुछ अन्य, अनुवाद के जरिए अपना रोज़मर्रा का खर्चा चलाते हैं|

लेकिन सभी को अत्यंत हर्ष इस बात का रहता है, कि वह भाषाओं और शब्दों के प्रति अपनी प्रतिभा का इस्तेमाल ऐसा काम करने में लगाते हैं, जिससे उन्हें आजीवन विविधता, आकर्षण और सीख मिलती है| 

तो अब आप दोबारा उन विचारों का मनन कीजिए जो कभी आपको अनुवादकों के बारे में इस लेख को पढ़ने से पहले थे| अगर आप इस बारे में ज़्यादा जागरूक महसूस कर रहे हैं, तो समझिए कि हमारा कार्य पूर्ण हुआ !